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HUMAYUN HISTORY IN HINDI

हुमायु का इतिहास

1. हुमायूँ का इतिहास

हुमायूँ दुसरे मुग़ल शासक था जिन्होंने उस समय आज के अफगानिस्तान, पकिस्तान और उत्तरी भारत के कुछ भागो पर 1531-1540 तक और फिर दोबारा 1555-1556 तक शासन किया था. उनके पिता बाबर की ही तरह उन्होंने भी अपने साम्राज्य को जल्द ही खो दिया था लेकिन बाद में पर्शिया के सफविद राजवंशियो की सहायता से पुनः हासिल कर लिया था. 1556 में उनकी मृत्यु के समय, मुग़ल साम्राज्य तक़रीबन दस लाख किलोमीटर तक फैला हुआ था.

हुमायूँ दिसम्बर 1530 में अपने पिता बाबर का  उत्तराधिकारी बना . 23 साल की उम्र में हुमायूँ अपने  पिता के साम्राज्य पर शासन करने लगा था , उस समय उसको  ज्यादा अनुभव तो नही था लेकिन उनकी सैन्य शक्ति से सभी परिचित थे. उनके चुलत भाई कामरान मिर्ज़ा ने अनुवांशिक रूप से काबुल और लाहौर को हथिया लिया था और साथ ही अपने पिता के उत्तरी भागो को भी हथिया लिया था. मिर्ज़ा, हुमायूँ के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी साबित हुए थे.

हुमायूँ ने बाद में पश्तून से भी शेर शाह सूरी से हारकर अपने अधिकार को खो दिया था लेकिन बाद में पर्शियन की सहायता से उन्होंने उसे दोबारा हासिल कर लिया था. हुमायूँ ने अपने शासनकाल में मुग़ल दरबार में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव भी किये थे.

बहोत कम समय में ही हुमायूँ में मुग़ल साम्राज्य को बढाया. बाबर के बेटो में हुमायूँ सबसे बड़ा था. वह वीर, उदार और भला था लेकिन बाबर की तरह कुशल सेनानी और निपुण शासक नही बन पाया.दिल्ली के तख़्त पर बैठने के बाद यह हुमायूँ का दुर्भाग्य ही था की वह अधिक दिनों तक सत्ताभोग नहीं कर सका. जनवरी, 1556 में “दीनपनाह” भवन में स्थित पुस्तकालय की सीढियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गयी.

हुमायूँ के बारे में इतिहासकार लेनपुल ने कहा है की, “हुमायूँ गिरते पड़ते इस जीवन से मुक्त हो गया, ठीक उसी तरह, जिस तरह तमाम जिन्दगी गिरते पड़ते चलता रहा था”.

2. शेर शाह सूरी का इतिहास

शेर शाह सूरी का जन्म फरीद खान के नाम से भारत के बिहार प्रान्त के सासाराम ग्राम में हुआ था. उनका उपनाम सूरी उनके प्राचीन ग्राम सुर से लिया गया था. जब वे युवावस्था में थे तभी उन्होंने एक शेर का शिकार किया था और तबसे उनका नाम शेरशाह रखा गया. उनके दादा इब्राहीम खान सूरी नारनौल के प्रसिद्ध जागीरदार थे और कुछ समय के लिए उन्होंने दिल्ली के शासक का भी प्रतिनिधित्व भी किया था. आज भी नारनौल में इब्राहीम खान सूरी का स्मारक बना हुआ है. तारीख-खान जहाँ लोदी ने भी इस बात को स्पष्ट किया था. उनके दादा इब्राहीम खान सूरी एक साहसी योद्धा थे.
शेर शाह सूरी उत्तरी भारत के सुर साम्राज्य के संस्थापक थे, जिनमे उनकी राजधानी दिल्ली भी शामिल है. 1540 मे शेर शाह ने मुघल साम्राज्य को अपने हातो में लिया था. 1545 में उनकी अकस्मात् मृत्यु के बाद, उनका बेटा उत्तराधाकारी बना. पहले वह मुग़ल आर्मी के सेनापति बने और फिर बाद में वे बिहार के शासक के रूप में उठ खड़े हुए. 1537 में, जब बाबर का बेटा हुमायूँ अभियान पर था तब शेर खान ने बंगाल राज्य को हथिया लिया था और वहा उसने सुर साम्राज्य स्थापित किया. शेर शाह ने खुद को हर मोड़ पर सही साबित किया, वे एक सफल शासक साबित हुए और एक वीर और साहसी सेनापति कहलाये. उनके विशाल और समृद्ध साम्राज्य को बाद में मुग़ल शासक हुमायूँ के बेटे अकबर ने हथिया लिया.

1540 से 1545 के अपने पाच साल के शासन काल में, उन्होंने अपने साम्राज्य में नयी सैन्य शक्ति का निर्माण किया था, और साथ ही पहले रूपया का भी प्रचलन उन्होंने शुरू किया और भारतीय पोस्टल विभाग को भी उन्होंने अपने शासनकाल में विकसित किया. बाद में उन्होंने हिमायुं दिना पनाह शहर को विकसित कर उसका नाम शेरगढ़ रखा और इतिहासिक शहर पाटलिपुत्र का नाम बदलकर पटना रखा. बाद में ग्रांट ट्रंक रोड को चित्तागोंग से विस्तृत करते हुए रास्तो को पश्चिमी भारत से अफगानिस्तान के काबुल तक ले गये और देशो को रास्ते से जोड़े रखा.
HUMAYUN HISTORY IN HINDI HUMAYUN HISTORY IN HINDI Reviewed by master all on June 29, 2017 Rating: 5

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